संत रामचरण जी, हरिराम दास जी, संत रामदास जी (sant ramcharn ji, hariram das ji, sant ramdas ji)

संत रामचरण जी एवं शाहपुरा शाखा (sant ramcharn ji avm shahapura shakha)

संत रामचरण जी
संत रामचरण जी

रामस्नेहियों में संत रामचरण जी सबसे लोकप्रिय संत हुए हैं । इन्होंने शाहपुरा ( भीलवाड़ा ) में रामस्नेही सांप्रदाय की गद्दी स्थापित की थी। रामचरण जी का जन्म टोंक जिले के सोडा गांव में 1720 ई . में बखताराम जी विजयवर्गीय के घर हुआ था । उनके बचपन का नाम ‘ रामकिशन ‘ था । रामचरण जी ने मेवाड़ के दांतड़ा में संत कृपाराम से दीक्षा ली । वहाँ से उन्होंने भीलवाड़ा तथा कहाड़ा होते हुए अन्त में शाहपुरा में जाकर रामस्नेही समप्रदाय की पीठ स्थापित एवं स्थगित की थी।

इनके उपदेश ‘ अनभैवाणी ‘ नाम ग्रंथ में संकलित हैं ।

इन्होंने रामधुनी एवं भजन कीर्तन को राम की आराधना का चार मार्ग बताया था।

1.संत लालदास जी एवं लालदासी सम्प्रदाय (sant laladas ji avm laldasi sampradaay)

हरिराम दास जी एवं सिंहथल शाखा (hariram das ji avm singhthal shakha)

सिंहथल ( बीकानेर ) में भागचन्द जी जोशी के घर जन्मे हरिराम दास जी ने यहाँ पर रामस्नेही सम्प्रदाय की गद्दी स्थापित की थी। इन्होंने गुरु जैमलदास जी से दीक्षा ली ।

वैसे पारा तो सिंहथल शाखा का आदि आचार्य जैमलदास जी को चार माना जाता है

तथापि हरिराम दास जी ने इस शाखा को लोकप्रिय बनाया ।

हरिराम दास जी की प्रमुख कृति ‘ निसानी है

तथा इस शाखा के साधु ‘ प्राणायाम ‘ को ईश्वर की आराधना का मार्ग मानते हैं ।

1.जाम्भोजी ( गुरु जंभेश्वर ), विश्नोई सम्प्रदाय (jambhoji (guru jambheshvar), vishnoi sampradaay)

संत रामदास जी एवं खेड़ापा शाखा (sant ramdas ji avm khedhapa shakha)

संत रामदास जी का जन्म जोधपुर जिले के भीकमकोर गाँव में शार्दुल जी एवं अणमी माई के घर में 1726 ई . को हुआ । इन्होंने सिंहथल के हरिराम दासजी से दीक्षा लेकर खेड़ापा ( जोधपुर ) में रामस्नेही सम्प्रदाय की गद्दी स्थापित की । रामदास के पुत्र एवं शिष्य दयाल दास जी के समय में इस सम्प्रदाय के साधु पाँच मतों में विभाजित हो गये — विरक्त , विदेही , परमहंस , प्रवृत्ति एवं गृहस्थी ।

1.संत दादूदयाल एव दादू पथ, संत दादूदयाल की समाधि (sant dadudayal avm dadu panth, sant dadudayal ki samadhi)


2.संत रैदास (संत रविदास), प्राणनाथजी, सुंदर दास जी (sant redas (sant ravidas), prannathaji, sundar das ji)


3.स्वांगिया माता (आवड़ माता), आशापुरा माता (svangiya mata (aavad mata), aashapura mata)


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